Sathya Sai Baba

मुझे गुरु जी की शरण में जाने का सौभाग्य तब मिला, जब मेरी शादी न्यायाधीश मदन मोहन पंची की सुपुत्री प्रिया से हुई। प्रिया बचपन से ही प्रसनाथी नियलम(आंध्रप्रदेश पुट्टापर्थी) से जुड़ी रही हैं। मुझे स्वामी जी के प्रथम दर्शन सन् 1988 में शादी के उपरांत हुए। पहले 10 वर्षों तक स्वामी जी से मिलना कभी निर्धारित नहीं रहा। उस समय मैं उनसे केवल इसलिए मिलता था क्योंकि प्रिया उनसे जुड़ी थीं और वो हमेशा वहां जाने के लिए इच्छुक रहती थीं।

धीरेधीरे मैंने स्वयं में परिवर्तन महसूस करना शुरू किया और मेरी सोच बदलने लगी। यह उस समय हुआ जब 1991 में मैंने मांसाहार खाना छोड़ दिया। यह प्रयास इसलिए भी था क्योंकि हम अपने बच्चों को नैतिक मूल्य देना चाहते थे, अच्छे संस्कार देना चाहते थे। इसी दौरान हमारे बच्चों ने बालपाठ (ऐसी संस्था जहां बच्चों को भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी जाती है) में जाना शुरू किया। वहां उनके साथसाथ मैंने भी भजन श्लोक सीखने शुरू किए। धीरेधीरे मुझ पर स्वामी जी के उपदेशों का प्रभाव पड़ने लगा।  फिर कुछ ऐसा हुआ कि 1999 में मुझे स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद का निदेशक बना दिया गया और मैं अक्सर आंध्रप्रदेश जाने लगा। उसके बाद अब जब भी मुझे कभी वहां जाने का अवसर मिलता तो मैं अपनी यात्रा को एक या दो दिन और बढ़ा देता ताकि स्वामी जी के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त कर सकूं। यह उन दिनों की बात है जब एसबीआई प्रशांति निलयम के कुछ परिसरों को पट्टे पर देना चाहता था। उस समय श्री सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट में कई प्रमुख लोगों के साथ मेरी बातचीत शुरू हुई और इस तरह मैं स्वामी जी के और नज़दीक गया।

Sathya Sai Baba

सन् 2000 तक मेरे अंदर इतना बदलाव आया कि मैंने कड़वे शब्दों का प्रयोग करना बंद कर दिया, जिन्हें मैं पहले अक्सर बोल दिया करता था। इसके साथ मैं लोगों के पास चुटकुले ईमेल करने की बजाय सुविचार भेजने लगा। ये विचार उन डेस्क कैलेंडर से लिए गए थे जो मैंने पुट्टपर्थी से खरीदे तथा जिनमें स्वामी जी की शिक्षाएं भी संकलित थीं।

1995 में एक बार श्री नरेन्द्र मोदी जी चंडीगढ़ मेरे पिता जी से मिलने आए तो उन्होंने पूछा कि मैं क्या कर रहा हूँ?  मैंने उन्हें उत्तर दियामैं चार्टेड  अकाउंटेंट का अभ्यास कर रहा हूँ।इस पर उन्होंने मुझसे सवाल किया कि क्या मैं पार्टी हित के लिए भी कोई काम करता हूँ, तो मैंने कहा कि चुनाव के समय में थोड़ाबहुत काम करता हूं वैसे आमतौर पर नहीं। तब उन्होंने मुझे नियमित रूप से पार्टी के साथ जुड़ने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षित परिवारों के योग्य लोग देशहित के लिए आगे नहीं आएंगे तो देश की बागडोर अल्पशिक्षित और अयोग्य लोगों के हाथों में जाएगी। तब उन्होंने मुझे चंडीगढ़ प्रदेश कार्यकारी नियुक्त कर दिया।

Narendra Modi encouraging Sanjay Tandon to serve the country by joining BJP full time

2005 में हमारा बड़ा बेटा सारांश श्री सत्य साईं हायर सेकेंडरी स्कूल में 11वीं कक्षा में दाखिल हुआ, उसी साल उससे छोटा बेटा शिवेन भी उसी स्कूल में गया तथा 2012 में तीसरा बेटा सत्यम भी वहीं चला गया। उनके मन व्यक्तित्व को पूरी तरह खिलते देखकर स्वामी जी के प्रति हमारी श्रद्धा और भी अधिक बढ़ गई। हमें यह पूर्ण विश्वास हो गया कि स्वामी जी के सानिध्य एवं मार्गदर्शन में बच्चे ही नहीं बल्कि हम भी विकसित हो रहे हैं। हमारे बच्चों द्वारा स्कूल में किये जा रहे सेवा कार्यों से प्रेरित होकर ही हमने कम्पीटेंट फाउंडेशन जिसका आधार हैहेल्प एवर, हर्ट नेवर की स्थापना की। यह संस्था विभिन्न सामाजिक कार्य जैसेरक्तदान शिविर, प्रेरक पुस्तकें, साप्ताहिक लंगर, उपचार के लिए आर्थिक सहायताकैंसर की दवाएं, नशामुक्ति, मोतियाबिंद सर्जरी आयोजित करती है। मेरे लिए यह कहना बहुत मुश्किल है कि स्वामी जी मेरे लिए क्या हैं। मैं बस इतना जानता हूँ कि वह हर पल मेरे साथ हैं, वह हर समय मेरा मार्गदर्शन करते हैं, कोई भी गलत विचार आने से पहले ही वह उसे रोक देते हैं। वह हमेशा मुझे धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। वह मुझे सिखाते हैं कि मुझे हमेशा कर्तव्य करना है बाकी सब ईश्वर पर छोड़ देना है उसी प्रकार जैसे भगवान श्री कृष्ण ने भगवदगीता में कहा हैकर्म करो, फल की चिंता मत करो।

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